"फर्द-ए-दोस्ती" एक उर्दू शब्द है जो दोस्ती के अंत को संदर्भित करता है। पेश है इसी विषय पर एक शायरी:

"दोस्त बन के रहे ज़िंदगी में, आज वो बिछड़ गए हैं, मिलते थे हर मोड़ पे, आज वो नज़र नहीं आते।"

अनुवाद:

"दोस्त थे ज़िंदगी में, पर आज बिछड़ गए हैं, मिलते थे हर मोड़ पर, पर आज नज़र नहीं आते।"